सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात के मोरबी हादसे वाले दिन आगुंतकों को टिकट जारी करने वाले मनसुखभाई वालजीभाई टोपिया को गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा दी गई जमानत को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। इस हादसे में 140 से अधिक लोग मारे गए थे।
ट्रेजेडी विक्टिम एसोसिएशन की दलील से असहमत पीठ
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ट्रेजेडी विक्टिम एसोसिएशन, मोरबी की ओर से पेश वकील की इस दलील से सहमत नहीं हुई कि उच्च न्यायालय ने गलत तरीके से आरोपी को जमानत दे दी।
जमानत रद्द करने की याचिका खारिज
9 जून को उच्च न्यायालय द्वारा आरोपी मनसुखभाई वलजीभाई टोपिया को दी गई जमानत को रद्द करने की याचिका खारिज करते हुए सीजेआई ने कहा, “वह सिर्फ टिकट बेच रहा था। हम संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिकाओं पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। विशेष अनुमति याचिकाएं तदनुसार खारिज की जाती हैं।”
आरोपी के पक्ष में फैसला
गुजरात उच्च न्यायालय ने इस तथ्य पर ध्यान दिया था कि जांच पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र पहले ही दायर किया जा चुका है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा था, “चूंकि, मुकदमे को समाप्त होने में अपना समय लगेगा, इसलिए न्यायिक हिरासत में आवेदक की उपस्थिति की आवश्यकता नहीं है। साथ ही, आवेदक कंपनी द्वारा नियुक्त टिकट जारी करने वाला व्यक्ति था।
कोर्ट ने बताया था बड़ी त्रासदी
पिछले साल 21 नवंबर को, शीर्ष अदालत ने मोरबी पुल ढहने की घटना को बहुत बड़ी त्रासदी करार दिया था। शीर्ष अदालत ने घटना की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पहले ही इस त्रासदी पर स्वत: संज्ञान ले लिया है।
गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर ब्रिटिश काल का पुल पिछले साल 30 अक्टूबर को ढह गया था, जिसमें 141 लोगों की मौत हो गई थी।