मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी को अप्रत्याशित सफलता मिली है. इन तीनों ही राज्यों में शायद ही किसी को उम्मीद हो कि इतनी बड़ी जीत मिलेगी. अब चुनाव परिणाम सामने आने के बाद सभी राजनीतिक दल हार और जीत की समीक्षा में जुट गए हैं. इस जीत ने एक बार साबित किया है कि मोदी शाह का जादू अभी कायम हैं. इस जीत से उत्साहित बीजेपी अपने कर्मठ नेताओं को प्रोत्साहित कर रही है. इस सूची में गुजरात के नेताओं के नाम सबसे ऊपर हैं. इन नेताओं ने दो महीने से अपने लिए आवंटित राज्यों में डेरा डाल रखा था.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए गुजरात से आए करीब डेढ़ सौ नेताओं ने दो महीने पहले ही डेरा डाल दिया था. इन नेताओं ने शहर से लेकर गांव तक आदिवासी इलाकों से लेकर सोसायटियों तक में बैठकें की, रणनीति बनाई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की नीतियों को जनजन तक पहुंचाने की कोशिश की. इस दौरान मध्य प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का भी खूब प्रचार किया. इन नेताओं ने खासतौर पर इन इलाकों पर फोकस किया, जहां बीजेपी को कम वोट मिलते हैं.
इसका फायदा भी मिला और इस चुनाव में बीजेपी को भारी बहुमत मिला. इन नेताओं की मेहनत का ही परिणाम है कि ज्यादातर सीटों पर जीत और हार का अंतर काफी बड़ा रहा है. बीजेपी मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक इन नेताओं में गुजरात संगठन में महासचिव रत्नाकर, जीतू वाघाणी आदि शामिल हैं. इसी प्रकार राजस्थान की कमान गुजरात बीजेपी के नेता नितिन पटेल को दी गई थी. राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सह प्रभारी बनाया गया था. नितिन पटेल ने अपनी टीम के साथ राजस्थान के गांव गांव में गए और गुजरात मॉडल पर काम किया.
यहां के हालात और मौजूदा स्थिति के मुताबिक रणनीति बनाई. इससे राजस्थान की विजय बीजेपी के लिए आसान हो गई. अब कहा जा रहा है कि गुजरात में नितिन पटेल का कद और पद और बढ़ने वाला है. इसी प्रकार छत्तीसगढ़ में बीजेपी की अप्रत्याशित जीत हुई है. बताया जा रहा है कि इस जीत के पीछे भले ही प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री की रणनीति रही, लेकिन इसे जमीन पर उतारने और कट्टर कांग्रेसियों को भी बीजेपी से जोड़ने में अहम भूमिका केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने निभाई है.