केंद्रीय आयुष और पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोणोवाल ने कहा कि गुजरात के गांधीनगर में 17-18 अगस्त को आयोजित पारंपरिक चिकित्सा पर दुनिया का पहला वैश्विक शिखर सम्मेलन कई मायनों में खास और ऐतिहासिक रहा। यह सम्मेलन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आयुष मंत्रालय के साथ मिलकर आयोजित किया था।
इस सम्मेलन की उपलब्धि “गुजरात घोषणा पत्र” है, जो जल्द ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी किया जाएगा। सम्मेलन में विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से पारंपरिक चिकित्सा पर वैश्विक सर्वे के प्रारंभिक नतीजों को भी सामने रखा गया और इन नतीजों से स्पष्ट है कि पारंपरिक चिकित्सा को लेकर दुनिया में स्वीकार्यता बढ़ रही है। नवंबर में सर्वेक्षण से जुड़ा अंतिम निष्कर्ष प्रकाशित किया जाएगा।
सर्वेक्षण के मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन के 157 देशों में से 97 देशों में पारंपरिक चिकित्सा को लेकर राष्ट्रीय नीतियां लागू हैं। केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोणोवाल के मुताबिक वैश्विक शिखर सम्मेलन में दुनिया के 78 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। शिखर सम्मेलन में देश-विदेश से आए वैज्ञानिकों, चिकित्सों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पारंपरिक चिकित्सा के हर पहलुओं पर चर्चा की और इसकी संभावनाओं और समस्याओं पर विचार विमर्श किया।
केंद्रीय आयुष मंत्री ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा के पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन में पारंपरिक चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं पर प्रतिभागी देशों के प्रतिनिधियों, विशेषज्ञों, नीति निर्धारकों सहित अन्य हितधारकों ने गहन विमर्श किया। इस विमर्श से उभर कर सामने आये परिणामों के आधार पर न सिर्फ साक्ष्य आधारित पांरपरिक चिकित्सा के लिये भविष्य का रोड मैप तैयार किया गया है, बल्कि शिखर सम्मेलन से प्राप्त नतीजों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों की सहमति से गुजरात घोषणापत्र तैयार किया गया है। इस आधार पर यह सम्मेलन एतिहासिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा यह घोषणापत्र बहुत जल्द सार्वजनिक किया जाएगा।
गुजरात घोषणापत्र विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों की पारंपरिक चिकित्सा को लेकर प्रतिबद्धता को भी जाहिर करता है। शिखर सम्मेलन में अलग-अलग विषयों पर हुए दस से भी अधिक सत्रों से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के “पारंपरिक चिकित्सा पर WHO की 2025-34 की रणनीति” में शामिल होने वाले मुद्दों को तय करने की गाइडलाइन मिली। वैश्विक शिखर सममेलन की एक अन्य उपलब्धि यह भी है कि सम्मेलन से प्राप्त निष्कर्षों का उपयोग विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से पारंपरिक चिकित्सा पर 2025-2034 रणनीति को तैयार करने में किया जाएगा।
केंद्रीय आयुष मंत्री के मुताबिक गुजरात के जामनगर में ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसन (GCTM) की स्थापना के करीब एक साल बाद ही गांधीनगर में विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से वैश्विक शिखर सम्मेलन का आयोजन यह दर्शाता है कि पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की भूमिका अब अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। वर्ष 2022 में GCTM की आधारशिला स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। पीएम मोदी की दूरदर्शिता और प्रतिबद्धता का ही परिणाम है कि पारंपरिक चिकित्सा को नई ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए दुनिया के देश अब भारत की ओर देख रहे हैं।
साक्ष्यपरक और वैज्ञानिक पारंपरिक चिकित्सा के विकास में अनुसंधान और अन्य देशों के साथ सहयोग एवं समन्वय से कार्य करने आदि को लेकर ही जीसीटीएम स्थापित किया गया है और इससे भारत को दुनिया में पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई पहचान मिली है। इन सबसे मिलकर ऐसा माहौल बना जिसने पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की धाक जमाने का काम किया। उल्लेखनीय है कि इससे पहले कोविड के समय में भारत के आयुष मंत्रालय की पहलों का देश और दुनिया ने लाभ लिया था और इन पद्धतियों का लोहा माना था।
केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोणोवाल ने जानकारी दी कि पारपंरिक चिकित्सा को लेकर भारत का नेपाल, मलेशिया, कतर, वेनेजुएला और क्यूबा से अलग-अलग महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ताएं हुई हैं ताकि इन देशों के साथ मिलकर पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान, प्रशिक्षण और सूचनाओं के आदान-प्रदान का रास्ता खुले।
गांधीनगर में आयोजित पारंपरिक चिकित्सा के पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक डॉ ट्रेडोस एडनोम घेब्येययस ने पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत के प्रयासों की जमकर तारीफ की थी। डॉ ट्रेडोस ने भारत के घर-घर में पूजी जाने वाली तुलसी का जिक्र करते हुए कहा था कि ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे तुलसी पौधा लगाने का मौका मिला।
शिखर सम्मेलन में इस बात पर खास तौर पर चर्चा की गई कि किस तरह से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे नवीनतम ज्ञान-विज्ञान का इस्तेमाल पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा (ट्रैडिशनल, कॉम्प्लीमेंट्री, इंटीग्रेटिव मेडिसिन) प्रणाली में किया जा सकता है। सम्मेलन के दौरान डिजिटल टेक्नोलॉजी से जुड़ी एक फिल्म के जरिए दिखाया गया कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) दुनिया की मौजूदा स्वास्थ्य सेवा की तस्वीर और तकदीर बदल रहा है।
पारंपरिक चिकित्सा के पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन के दौरान योग और ध्यान का विशेष सत्र भी आयोजित किया गया जिसमें विदेशी मेहमानों ने काफी उत्साह से भाग लिया। सम्मेलन स्थल पर पारंपरिक चिकिस्ता से जुड़ी एक प्रदर्शनी भी लगाई थी जिसमें देश-दुनिया में प्रचलित तमाम चिकित्सा पद्धतियों को दिखाया गया था। इस प्रदर्शनी में आकर्षण का केंद्र बिंदु रहा पौराणिक कल्पवृक्ष जिसके बारे में मान्यता है कि यह इंसान की हर मनोकामना को पूरा करता है।